अरविन्द सुब्रमण्यमजी, अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत…!
आतंकवाद अब भी है, नक्सलवाद अब भी है, नकली नोट आज भी पकड़े जा रहे है और कालाधन आज भी है। तो फिर नोट्बंदी से किसे लाभ पहुंचा..? जवाब आज नहीं तो कल अवश्य मिलेंगा। (जी.एन.एस) ता. 30 एक है स्वामी सुब्रमण्यम जो सच बोल रहे है लेकिन उनकी कोई सुनते नहीं। एक है अरविन्द सुब्रमण्यम जिन्होंने दो साल बाद सच कहा लेकिन उसका कोई मतलब नहीं। मोदी सरकार