कुल जनसंख्या में काफी हिस्सा उन लोगों से भरा हुआ है जिनके दिल और दिमाग में कचरा भरा हुआ है। इन लोगों को अपनी उत्पत्ति के मूल मर्म और धर्म-कर्म या व्यवहार से कोई वास्ता नहीं है। उन्मुक्त स्वच्छन्दतावाद चारों तरफ इतना अधिक पसरा हुआ है कि हर कोई अपनी चला रहा है। किसी को कुछ नहीं पड़ी है। कोई भी अपने कत्र्तव्य के बारे में जानना, समझना और अपनाना