जो काम हुए हैं, होते रहे हैं और होंगे, इन सभी के लिए ईश्वरीय विधान ही सबसे बड़ा कारक है। व्यक्ति की निष्ठा, एकाग्रता और कर्म के प्रति समर्पण से कार्य की गुणवत्ता और सहजता का ग्राफ उच्चतम शिखर पा लेता है। श्रीमद्भगवद्गीता के कर्मयोग के सिद्धान्त को आत्मसात करते हुए वह सब कुछ बड़ी ही आसानी से प्राप्त किया जा सकता है जिसकी कल्पना एक आम मनुष्य अपने पूरे