हर कोई दूसरों से दुःखी है। इस बात से नहीं कि कोई स्वस्थ प्रतिस्पर्धा या किसी प्रकार की जीवनदायी निर्णायक दौड़ ही हो। परेशानी का कोई वाजिब कारण नहीं है फिर भी लोग दुःखी हैं और प्रतिशोध का बीजारोपण कर दिया करते हैं। कुछ लोग अपने आप से दुः,खी हैं और शेष सारे दूसरों से दुःखी। दुःख का सबसे बड़ा कारण लोग खुद ही हैं क्योंकि उन सभी ने यह