आजकल संबंधों के कई सारे प्रकार हमारे सामने हैं। अब कई तरह के नवाचारी संबंध हैं जिनमें आंशिक से लेकर आधे-अधूरे और विकृत-व्यभिचारी संबंधों को समाहित किया जा सकता है। पहले संबंध मानवता के पोषक हुआ करते थे आजकल इन संबंधों का स्वरूप बदल कर स्वार्थ और कारोबारी मानसिकता ने ले लिया है। अब संबंधों में मानवीय मूल्य, संवेदनशीलता और परमार्थ आदि तमाम परम्परागत मूल्यों का पलायन हो चुका है