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उल्लू-चमगादड़ भाई-भाई

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जो भी इन्सान धरती पर पैदा हो गया, वह सामाजिक प्राणी के रूप में अपने आपको स्थापित करने का प्रयास करता ही है। समुदाय के बिना इंसान की कल्पना ही नहीं की जा सकती क्योंकि उसकी सम्पूर्ण जीवनचर्या और मरते दम तक बनी रहने वाली जिन्दगी उन लोगों के लिए है जो उसके आस-पास या साथ रहते हैं अथवा उसके अपने क्षेत्र में रहते हैं। इसके अलावा सामाजिक प्राणी होने
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