एक परंपरा ऐसी भी, आंखों पर पट्टी बांधकर होता है जोत का बावड़ी में विसर्जन
(जी.एन.एस) ता. 28 रायपुर महामाया मंदिर में अष्टमी हवन के बाद आधी रात से पहले सभी भक्तों को बाहर कर दिया जाता है। मंदिर के ट्रस्टी व पुजारीगण जब आश्वस्त हो जाते हैं कि मंदिर में एक परिन्दा तक नहीं है तो वे भी मंदिर से बाहर चले जाते हैं।ऐसे में मंदिर के प्रधान बैगा मां महामाया की महाजोत को मंदिर में ही स्थित बावड़ी तक ले जाकर विसर्जित करते