Share this articleएक जमाना वह भी था जब लोगों के पास धन-सम्पदा, वैभव आदि सब कुछ होते हुए भी सम्पन्न से सम्पन्न और गरीब से गरीब व्यक्ति भी सेवा करने में आगे रहता था और सेवा के जरिये पुण्य का संचय करने के हर काम में भागीदार हुआ करता था। बात बहुत पुरानी नहीं है। कुछ दशक पूर्व तक यह परंपरा बरकरार थी लेकिन जब से आदमी के विचारों और