धीर-गंभीर होना अलग बात है और हमेशा गंभीर रहना अलग बात। गंभीर बातों के वक्त गंभीर रहना और उसके अलावा हमेशा अपनी मस्ती में रहना बिरले लोग ही कर सकते हैं। अन्यथा अधिकांश लोग तो आजकल हँसना भूल गए हैं, खिलखिलाना तो गायब ही हो गया है। बात अपने आस-पास की हो या दूर की, घर की हो या बाहर की, लगता है जैसे मुस्कुराहट का बीज ही नष्ट हो