Home लेख कोरोना का कहर : याद रखेगी दुनिया

कोरोना का कहर : याद रखेगी दुनिया

191
0
Share this article

लेखक – दुर्गेश रायकवार

कोरोना का कहर, इतिहास के पन्नों पर कालिख की तरह लिख गया है। इसको दुनिया कभी-भी भुला नहीं पायेगी और याद रखा जायेगा, तो नैतिक शिक्षा का वह पाठ, जो हमने बचपन में पढ़ा था। वो दुनिया को सीख दे गया भारतीय संस्कृति को अपनाने की। अभिवादन के समय नमस्कार करना और एक सुरक्षित दूरी बनाकर एक-दूसरे से मुखातिब होना।

कोरोना का कहर का सामना करने में पुलिसकर्मी, डॉक्टर, सफाईकर्मी और शासकीय सेवकों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, जो अपनी और अपने परिवार की चिंता किये बिना देश सेवा में लगे हैं। हाँ, इसे देशसेवा ही कहना चाहिये, क्योंकि जब आपदा इतनी बड़ी हो कि प्रधानमंत्री के आव्हान पर पूरे देश को बंद करना पड़ा और सभी ने इसमें सहयोग भी दिया।

पुलिसकर्मी बिना खाए-पिए हर चौक-चौराहे पर तैनात हैं। डॉक्टर और नर्सेस की सेवाएँ प्रशंसनीय है, जो लगातार कोरोना पीड़ितों की सेवा कर उन्हें बचा रहे हैं। इसी प्रकार सफाई कर्मियों ने लगातार शहरों में स्वच्छता में सहायता कर मिसाल कायम की है। अन्य विभागों के शासकीय सेवकों का काम भी सराहनीय है जो लॉक डाउन में जनता को जरूरी वस्तुओं की उपलब्धता के साथ अन्य जरूरी काम कर रहे हैं। हमारे मीडिया बंधु भी हर उचित माध्यम से घर-घर तक सही खबरें पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं।

इतनी बड़ी जंग में अपवाद भी होते हैं, कई असामाजिक तत्व सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें फैलाने से भी नहीं चूकते। यह तो अच्छा है कि लोग भी अब जागरूक है और हमारे देश और प्रदेश का आई.टी. सेक्टर भी इतना मजबूत हो चुका है कि पल में ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी की जा रही है।

कर्फ्यू कैसा होता है यह अधिकांश लोगों ने कभी-न-कभी जिंदगी में एक-आध बार देखा होगा, लेकिन इतना बड़ा कर्फ्यू जो लॉकडाउन के नाम से जाना गया, यह हमारे बच्चों ने देखा, जो घर में बैठकर लॉकडाउन खुलने का बेसबरी से इंतजार कर रहे हैं। ऐसा कर्फ्यू लॉकडाउन शायद फिर न हो। हम सभी इसके लिये भगवान से प्रार्थना करते हैं।

हाँ हमारे बच्चे जरूर इस बात के गवाह हो गये जो आने वाली पीढ़ी को बतायेंगे कि हमने देखा था वो मंजर जब चारों ओर सन्नाटा था, लेकिन वह हम सबके हित में था। जब कोई अदृश्य शक्ति का हमला हो सकता है तो अदृश्य शक्ति हमें बचा भी सकती है। इस दौरान सभी ने घर में रहकर योग और आध्यात्म के जरिये अपने आप को मजबूत और सुरक्षित रखा।

कोरोना का कहर हमेशा याद रखेगी दुनिया, क्योंकि लगभग हर देश इससे जूझा। सबसे बड़ा लॉकडाउन हुआ। ऐसे में सरकार के लिये भी बड़ी चुनौती थी लोगों को आवश्यक वस्तु की आपूर्ति करवाना। लेकिन सभी राज्य सरकारों ने इस चुनौती को स्वीकार कर इस जंग में सहयोग किया। आवश्यक वस्तु में गैस, पेट्रोल, फल-सब्जी और दूध-दवाई की आपूर्ति सतत बनी रही। हाँ जहाँ कहीं मरीजों की संख्या बढ़ी, वहाँ थोड़ा सख्ती से लॉक डाउन का पालन करवाना भी जरूरी हुआ।

कोरोना से बचने का सबसे सरल उपाय यही है कि सब अपने-अपने घर में रहें और सुरक्षित रहें। लगभग सभी इसका पालन कर सहयोग कर रहे हैं। एक विडम्बना यह भी थी कि गरीब और असहाय लोगों तक भोजन पहुँचे। इसके लिये जन-सहयोग के साथ सामाजिक संगठन और संवेदनशील व्यक्ति आगे आये और उन्होंने लगातार भोजन उपलब्ध करवाया।

मजे की बात यह भी रही कि लगभग सब घर-परिवार के साथ थे। तो सब खुश भी थे। घर की महिलाओं ने भी इसमें भरपूर सहयोग किया। जहाँ लोगों के यहाँ चार नहीं तो तीन बाइयाँ काम करने आती थीं, वो सारा काम घर की स्त्रियों ने ही किया और काम करने वाली बाइयों को इतने दिन लॉकडाउन में काम न करने पर भी उनकी मेहनताना राशि बिना काटे दी। मैं उन्हें नमन करता हूँ।

बाहर काम करने वाली महिलाओं में पुलिस, स्वास्थ्यकर्मी, शासकीय सेवक और सफाईकर्मी का भरपूर सहयोग मिला, जिन्होंने घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी सम्हाली। उन्हें तो प्रणाम करना चाहिये।

दूसरी तरफ हमारी आबोहवा अच्छी हो गई। इतने दिन घर में रहने से प्रदूषण कम हुआ और वातावरण शुद्ध। एक बात और इससे फिजूलखर्ची भी रुकी। जहाँ लोग शौक-शौक में जरूरत से ज्यादा अनावश्यक सामग्री खरीद कर बड़ी राशि खर्च कर देते थे, उस पर लगाम लगी। हालांकि इसको बोला जाये तो सारा मार्केट डाउन था। कोई वाहन, मोबाइल, शो की चीजें नहीं खरीदी गईं। इससे नुकसान भी हुआ लेकिन हाँ लॉकडाउन हमें सिखा गया कि हम लोग अनावश्यक कितना खर्चा करते हैं।

यहीं नहीं कोरोना का कहर इतना रहा कि लोग सामान्य बीमारी के साथ बड़ी-बड़ी बीमारियों को भी भुला गये। इस बीच घरों में रहने के लिये सहायक बने ऐतिहासिक रामायण और महाभारत के प्रसारण से दूरदर्शन ने लोगों के दिल में फिर जगह बनाई।

हमें आगे भी इन नैतिक शिक्षा आदि का ध्यान रखना होगा। लॉकडाउन खुलने के बाद भी पता नहीं कब तक हमें अपनी नैतिक सीख को अपनाना होगा। हमने जो बार-बार हाथ धोने की आदत को इस दौर में ग्रहण किया वह जिंदगीभर याद रखना होगा।

जरूरत वही कि खाद्य सामग्री को भी धोएं। स्वच्छ कपड़े पहने। घर में भी साफ-सफाई रखें। नमस्कार करें। एक-दूसरे से एक नियत दूरी बनाकर बात करें। कोरोना का कहर हमें एक सीख देकर जायेगा, जिसे याद रखेगी दुनिया। हाँ इसमें कई लोगों का दु:खद अंत भी हुआ। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।