गांव भाई देसा जहां प्लास्टिक नहीं कपड़े के थैले इस्तेमाल करते हैं लोग
(जी.एन.एस) ता. 17 जालंधर राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं के मुंह से ‘से नो टू प्लास्टिक’ जैसा स्लोगन महज औपचारिकता लगता है। पर्यावरण को बचाने के लिए किसी मंच से उन्होंने कह दिया और राजनीतिक स्तर पर यह एक योजना हो गई जो सरकारी फाइलों और भाषणों में निरंतर चल रही है। हकीकत यह है कि देश में पर्यावरण को स्वच्छ रखने की मुहिम कभी चरणबद्ध तरीके से गांव से शहरों