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गुजरात: 1 करोड़ 26 लाख हिन्दीभाषी की मांग, अल्पेश को न दी जाए टिकिट

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(जी.एन.एस) ता. 24
अहमदाबाद (रविन्द्र भदौरिया)
गुजरात में हिन्दीभाषी प्रवासियों पर हमले को लेकर आलोचनाओ से घिरे कांग्रेस विद्यायक अल्पेश ठाकोर अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए है। हिमतनगर के साबरकाठा में बनी रेप की घटना के बाद अल्पेश ठाकोर के बयान से पूरे गुजरात मे हिंसा भरी परिस्थिति देखनो को मिली। गुजरात के तमाम कस्बो की फेक्टरियों में काम कर रहे हिन्दीभाषी लोग अचानक अपना घर का सामना आधे भाव में बेचकर गुजरात से पलायन करने लगे। और इन सब का जवाबदार अल्पेश ठाकोर थे। हिन्दीभाषी लोगों के लिए उत्तर भारतीय विकास परिषद कई सालों से गुजरात मे कार्यरत है और उत्तर भारतीय की मदद करती आई है। लेकिन जिस दिन से अल्पेश ने कांग्रेस का दामन छोड़ भजपा का दामन थामा उसी दिन उत्तरभारतीय विकास परिषद ने प्रेस कोंफ़र्न्स कर अल्पेश ओर भारतीय जनता पार्टी का विरोध किया। 
फिलहाल गुजरात के राधनपुर से अल्पेश ठाकोर ने पंजे की मोहर पर जीत हॉसिल की थी लेकिन उस जीत पर से अब अल्पेश ने राजीनामा देकर भजपा पार्टी जॉइन कर ली। और अब गुजरात मे 7 सीटों पर विधानसभा के उप चुनाव होने को हे जिसमे से 6 सीटों के उप चुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो चुका है लेकिन राधनपुर की तारीख का एलान तो हो गया फिर भी अल्पेश ठाकोर का नाम भारतीय जनता पार्टी सुनिश्चित नही किया। अगर भारतीय जनता पार्टी अल्पेश को उमेदवार घोषित करती है तो उत्तरभारतीय विकास परिषद उसकी कड़ी निद्रा करेगा। उत्तरभारतीय विकास परिषद के अहमदाबाद शहर अध्यक्ष डॉ त्रिभुवन सिंह ने बताया कि गुजरात में एक करोड़ 25 लाख हिन्दीभाषी निवास करते है। और आज 1 करोड़ 26 लाख हिंदी भाषी समाज की मांग है कि अगर अल्पेश को भारतीय जनता पार्टी विधानसभा के उप चुनाव की टिकिट देती है तो उसका परिणाम भजपा सभी राज्यों में भुगतने के लिए हो जाये। क्योंकि गुजरात ही नही भारत देश के सभी राज्यों में हिंदी भाषी लोग निवास कर रहे है।
अगर भाजपा अल्पेश को टिकिट दे भी देती है और अल्पेश ठाकोर जीत भी जाता है तो उस दिन को हम काले दिवस के रूप में मनाएंगे। शहर अध्यक्ष डॉ त्रिभुवन सिंह ने का कहना है कि इतना खून खराबा कराने वाले अल्पेश को भाजपा कैसे टिकिट दे सकती है। सबसे ज्यादा हिंदी भाषियों की जनसंख्या उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश से और कुछ समय के बाद उत्तरप्रदेश में विधानसभा के चुनाव होंगे जिसमें भाजपा की ये गलती उसको भुगतनी पड़ेगी। क्योकी जब अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में था तब इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दे गया और सत्ता मिल जाने के बाद तो अल्पेश ठाकोर पता नही क्या कर बैठे..?  हिन्दीभाषी पर हमले को लेकर कही न कही भाजपा का भी रोल रहा क्योंकि जब वारदाते होने लगी फिर भी गुजरात के प्रशाशन ने कोई सख़्त कदम नही उठाया और लाखों हिन्दीभाषी गुजरात छोड़ के अपने राज्य वापस चले गए। और अब हिन्दीभाषी के मुजरिम अल्पेश को अपनी पार्टी में टिकिट देने का फैसला कर लिया है जिसका उत्तरभारतीय विकास परिषद जमकर विरोध करेगा।