डॉ. वेदप्रताप वैदिक —सरकारी जासूसी को लेकर आजकल भारत और दुनिया के कई देशों में जबर्दस्त हंगामा मच रहा है। पेगासस के संयंत्र से जैसी जासूसी आजकल होती है, वैसी जासूसी की कल्पना आचार्य कौटिल्य और निकोला मेकियाविली (इतालवी चाणक्य) कर ही नहीं सकते थे। उन दिनों न टेलिफोन होते थे और न केमरे। मोबाइल फोन और कंप्यूटर की तो कल्पना भी नहीं थी। लेकिन जासूसी होती थी और बाकायदा