दुनिया में चारों ओर स्तुतिगान की होड़ मची है। हर तरफ अनगिनत लोग बेमन से भी प्रशंसा और स्तुतिगान में व्यस्त रहने लगे हैं। स्तुतिगान का सीधा संबंध स्वार्थपूत्रि्त या भय से होता है। जितना बड़ा स्वार्थ उतना अधिक मुखर स्तुतिगान। जितना अधिक भय, उतना अधिक चापलुसी। इसीलिए कहा गया है कि जो लोग कामचोर, हरामखोर और पुरुषार्थहीन हैं उनके लिए स्तुतिगान और चापलुसी से बढ़कर और कोई ब्रह्मास्त्र किसी