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देवतुल्य है, ये डाॅक्टर !

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Share this article डॉ. वेदप्रताप वैदिक — आजकल डाक्टरी, वकालत और शिक्षा— ये तीन सेवाएं नहीं, धंधे माने जाते हैं। यदि कोई धंधा करता है तो पैसा तो वह बनाएगा ही ! इन तीनों सेवाओं को सीखने के दौरान जो अनाप-शनाप खर्च करना पड़ता है, अगर उसे वसूला नहीं जाए तो काम कैसे चलेगा ? वसूली के इस दौर में शहरी, सपंन्न और ऊँची जातियों के लोग तो किसी तरह
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