Home डॉ. दीपक आचार्य नए खून को दें अवसर

नए खून को दें अवसर

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Share this articleलगता है जैसे सब कुछ ठहर सा गया है। पुराने लोगों का जमघट इस कदर हावी है कि नई पौध को आगे आने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है और इस वजह से पुरानी पीढ़ी कहीं स्पीड़ ब्रेकर तो कहीं दूसरी-तीसरी भूमिकाओं में धुँध की तरह इतनी छायी हुई है कि अँधेरा छँटने का नाम तक नहीं ले पा रहा है। बात राजनीति के गलियारों से
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