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न युग सुधरेगा, न हम

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Share this article– डॉ. दीपक आचार्य बरसों से कहा जाता रहा है- हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा। पर दशकों बाद भी यह उक्ति सार्थक नहीं हो पायी है और आज भी हम वहीं के वहीं ठहरे हुए हैं, न सुधर पाए हैं, न किसी को सुधार। बचपन से लेकर पचपन तक की बात हो या फिर साठ पार से लेकर शतायु पार तक के लोगों की। कोई सा आयु वर्ग हो,
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