चैरासी लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य योनि प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि पाप और पुण्य जब बराबर हो जाते हैं तब जीवात्मा को मनुष्य देह प्राप्त होती है। ऐसे में भी अपेक्षाकृत पुण्य की मात्रा थोड़ी अधिक होने पर उच्च वर्ण व कुल, राजयोग, यश, सौभाग्य आदि प्राप्त होते हैं। इसी के अनुसार जीवन यात्रा का संचार होता है। मनुष्य योनि प्राप्त होने के बाद