बाढ़ में डूबा पालनहार,घरों की छतों पर रोटी के दो निवालों का इंतजार
(जी.एन.एस) ता. 26 जालंधर जिस पंजाब की धरती ने 1970 की हरित क्रांति से लेकर अब तक देश के लोगों की भूख मिटाने के लिए अन्न के भंडार दिए और किसानों ने रसायनिक खादों के कारण कैंसर जैसी घातक बीमारियां अपने जीवन में मोल लीं, आज वही धरती जब जल प्रलय के आगोश में है तो सियासतदान एकजुट होने की बजाय सियासी चूल्हों पर अपनी रोटियां सेंकने पर उतारू हैं।