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भस्मीभूत करें साँपों को

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सर्प और शत्रु दोनों ही समान हैं और इन पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता। जंगलों में साँप और साँपिनों की बिरादरी ज्यों-ज्यों खत्म होती जा रही है त्यों-त्यों सर्पों के गुण और जहर स्त्री-पुरुषों में आने और दिखने लगे हैं। यही स्थिति विश्वासघातियों और विघ्नसंतोषियों की है। हमारे आस-पास, साथ और ऊपर-नीचे वाली असामयिक और नाकारा भीड़ में भी मोहमुक्त होकर तलाशा जाए तो खूब सारे लोग
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