Share this articleहर इंसान परिपूर्ण नहीं हो सकता। मनुष्य के बारे में यह कहा जा सकता है कि उसकी जिन्दगी का हर क्षण सीखने-सिखाने के लिए है और जब तक वह संसार से विदा नहीं ले लेता, तब तक ज्ञान और अनुभवों को प्राप्त करते रहने की प्रक्रिया चलती रहती है। यह मनुुष्य पर निर्भर है कि वह जड़ता, आलस्य और प्रमाद से घिरा रहता हुआ यथास्थितिवादी, मूर्ख और भौन्दू