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भौंकू तो भौंकेगे ही

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अभिव्यक्ति के लिए सबके पास अलग-अलग विधाएं हैं और इन्हें सारी प्रजातियां आपस में अच्छी तरह समझ जाया करती हैं। जलचर, थलचर, नभचर और उभयचर वर्ग का कोई सा जीव हो, अपनी तरह के दूसरे सारे जीवों की वाणी समझ जाते हैं। इन्हें कभी कोई परेशानी महसूस नहीं होती। केवल इंसान ही ऎसा है जिसके पास कई तरह की वाणियां दी हैं, भावों और मुद्राओं के साथ मुखौटे दिए हैं
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