AMAZON के बहाने अब वोशिंग्टन पोस्ट को कन्ट्रोल करने की भाजपा की कोशिश तो नही…?
10 लाख लोगो को रोजगार देनेवाले कंपनी के साथ भाजपा का सौतेला व्यवहार और jio के साथ…?
क्या भाजपा चाहती है की देशी बडे मिडिया की तरह विदेशी मिडिया भी उसी सूर में गाये…?
(जीएनएस, प्रविण घमंडे) दि.20
कहीं पे निगाहे..कहीं पे निशाना….! यह कहावत इस वक्त भाजपा और उसके मंत्री पियुष गोयल पर खरी उतरती नजर आ रही है. दुनिया के सब से धनी और ई-कामर्स सेक्टर की सब सी बडी कंपनी अमेझोन के मालिक और सीइओ भारत की मुलाकात पर आये लेकिन भाजपा और कामर्स मंत्री पियुष गोयल को उनकी मुलाकात रास न आई. यहां बताते दे क् अमेझोन के मालिक अमरिका के सब से बडे और पुराने अखबार वांशिंग्टन पोस्ट के मालिक भी है. इस अखबारने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द् मोदी सरकार की आलोचना की है और आलोचना करने से नहीं कतराते.
भारत में मिडिया के नाम पर बडी बडी टीवी चैनलों के खिलाफ प्रतिपक्ष द्वारा आरोप लगे है की वह सच नहीं बताते लेकिन सरकार का पक्ष लेते है. अन्य शब्दोमें कहे तो भारत का मेइन स्ट्रीम मिडिया में ज्यादातर सरकार के अंकूश में है ऐसा कहा जाय तो इसमें भाजपा को खुश होना चाहिये. ऐसा नहीं की सरकार का पक्ष लेनेवाले मिडिया को लाभ नहीं मिल रहा. मिल रहा होगा. लेकिन विदेशी मिडिया खास कर वाशिंग्टन पोस्ट भाजपा को भा नहीं रहा ऐसा नही है. लेकिन वह भाजपा के अंकीश में आ नहीं रहा. इसलिये जब इस अखबार के मालिक जेफ बेजोस अपनी इ-कामर्स कंपनी के सिलसिले में भारत आये तब उनका स्वागत नहीं किया गया.
अमेजोन के मालिक ने भारत में 7 हजार करोड का नया पूंजी निवेश करने की घोषणा की तब मानो इसी मौके का बेसब्री से इन्तजार कर रहे हौ ऐसे मंत्रीमहोदय ने तपाक से कह दिया की अमेजोन यह निवेश कर भारत पर कोइ उपकार नहीं कर रहा….!! मंत्रीजी ने यह भी कहा की अमेजोन को भारत में ई- व्यापार करते हुये 7 हजार करोड का घाटा हुआ है फिर भी वह निवेश क्यों करना चाहते है…?! असल में मंत्रीने अपनी भडास निकैली की यह कंपनी भारत के कानून के दायरे में व्योपार नहीं कर रही और उसकी बाजार किमत से भी कम भाव में माल बेचने की नीति (प्रिडेटरी प्रईसिंग)से भारत के छोटे और मझले स्तर के व्यापारियो को काफी नुकशान उठाना पडा है. प्रिडेटरी प्राईसिंग वह होता है जिस में कोइ भी कंपनी अपनी प्रोडक्ट को उसकी लागत किंमत से भी कम भाव में बेचे. जिससे दुसरी कंपनीयों को नुकशान होने की पूरेपूरी संभावना रहती है.
मंत्री और अमेजोन के लडाइ में भाजपा के विदेश में कामकाज देखनेवाले नेता विजय चौथाइवाले ने ट्वीट कर बताया की जेफ बेजोस के अखबार मोदी सरकार की आलोचना करते है और पाकिस्तान के खिलाफ नहीं लिखता…! विजयजी ने यह भी दावा किया कि पिछले 60 दिनों में आपके अखबार ने पाकिस्तान के खिलाफ एक भी लेख प्रकाशित नहीं किया और भारत से भेजे गये कोल्मिस्ट के लेख में से जो पाकिस्तान के खिलाफ टीप्पणीयां थी वह अखबार नें निकाल दी…! अखबार के सिनियर संपादक एली लोपेझ ने इसका जवाब दिया की यह बात सच नहीं. लोपेझ ने विजयजी को पत्रकारिता क्या है उसका जवाब दिया की स्वतंत्र पत्रकारत्व सरकार को खुश करने के लिये नहीं…! अखबार में क्या लिखना क्या न लिखना ये निर्देश बेजोस नहीं देते, अखबार खुद अपनी नीति तय करता है…! चौथाईवाले और लोपोझ के बीच सोश्यल मिडिया में ट्वीटर वोर जैसा भी हुआ.
अमेजोन के मालिक की भारत मुलाकात, भारत में 10 लाख लोगो को नया रोजगार देने की घोषणा, उनके अखबार की भाजपा द्वारा खिंचाई और अमेजोन के मालिक की मंत्री महोदय द्वारा खिंचाइ…इन सभी को देखतचे हुये जो बात मोटे तौर पर निकल कर आ रही है वह यह है की भाजपा भारत के देशी बडे टीवी मिडिया को अंकूश में लेने के साथ साथ अब विदेशी मिडिया को भी अंकूश में लेने चाहती है क्या….? यदि ऐसा नहीं है तो फिर इस अखबार के मालिक की भारत में उनके खिलाफ निवेदन दे कर उन्हें जलील क्यों किया गया…? क्या भारत की यही विदेश नीति है की भारत आये ऐसे लोगो का इस तरह से अवमान किया जाय की वे 7 हजार करोड का निवेश कर भारत पर कोइ महेरबानी नहीं कर रहे…!
भारत की अर्थ व्यवस्था इस वक्त कैसी है वह तो मोदी सरकार के पूर्व सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने बता ही दिया है. सरकार आंकडो का खेल खेलना चाहती है नये सिरे से. भारत में मंदी के वक्त में कोई इतनी बडा पूंजी लगाकर भारत में रोजगार के नये अवसर जूटाना चाहता हो तो उसका खुशी खुशी स्वागत करने की बजाय उनकी मजाक बनाना और उनके अखबार के खिलाफ यह बोलना की तुम तो पाकिस्तान के खिलाफ कुछ भी नहीं लिखते सिर्फ मोदी सरकार के खिलाफ ही लिखते हो..ये बताता है कि कहीं पे निगाहे…कहीं पे निशाना….!
भारत में मेईन मिडिया की नीति उससे ही पत्ता चलती है जब कश्मिर में हिजबुल के खूंखार आतंकी को अपनी कार में बिठाकर ले जाते हुये कोइ छोटा पुलिसवाला नहीं लेकिन डीएसपी स्तर का पुलिस अधिकारी दवेन्दर सिंह पकडा जाता है…और उसके तार संसद में हुये हमले के साथ तथा पुलवामा हमले में उनकी भूमिका को लेक सवाल उठ रहे हो तब उस पर कोई डिबेट नहीं हुई. उनकी गिरफ्तारी का फोटो भी मिडिया में कही कीसी को देखने नहीं मिला.(कृपया कीसी के पास हो तो शेयर करे..)…!
भाजपा पर अध्यन करनेवाले सूत्रो का मानना है की भाजपा पार्टी अब विदेश में वोशिंग्टन पोस्ट जैसे बडे अखबार को अपने हाथो में लेना चाहती है. और जब उसके मालिक भारत आये तब उन्हें कोसना, उनका एक तरह से अवमान करना और उनके अखबार के संपादक को भी भाजपा के खिलाफ लिखने के लिये टोकना ये सब भाजपा की एक सोची समझी चाल हो सकती है. अमेजोन के बहाने भाजपा ने अमेजोन के अखबार को दबाने की जो कोशिश की है वह इस बात का स्पष्ट ईशारा है की विदेश में जो भाजपा और मोदी सरकार के खिलाफ लिखेंगा उसके साथ ऐसा ही बर्ताव किया जायेगा….?
कहनेवाले तो यह भी कहते है की आज तक भारत में कीसी बडे या छोटे विदेशी कारोबारी के साथ ऐसा नहीं हुआ जो भाजपा के मंत्री और संगठन के एक नेता ने किया है. वाशिंग्टन पोस्ट कोइ छोटा अखबार या सरकार की राह पर चलनेवाला अखबार होता तो उसके नाम का डंका भारत में नहीं बजता. यह अखबार अमरिका सरकार को नहीं छोडता तो फिर भारत तो उसके लिये कुछ भी नहीं. अखबार के कारोबारी मालिक के खिलाफ बोल कर उनके अखबार पर दबाव लाना कोई भाजपा और मंत्रजी से सिखे.
लेकिन क्या यह अखबार भाजपा के अंकूश में आया या आ सकता है….? भारत और विदेशी अखबारो में काफी अंतर है. वहां के टीवी मिडिया और भारत के टीवी मिडिया में जमीन आसमान का अंतर है. भारत में जिओ कंपनीने लोगो को मुफ्त में नेट और मोबाइल की सुविधा दी तब उसका रवैया प्रिडेटरी प्राईसिंग जैसा ही नहीं था क्या…? jio कंपनी ने वही किया जो अमेजोन ने किया. जियो की वजह से बडी बडी टेलिकाम कंपनीया हिल गई. उन्हें घाटा हुआ. लेकिन मंत्री ने जियो के खिलाफ एक शब्द भी कहा. बाजार में कोइ सस्ता माल लेकर आता है तो उससे आखिर उपभोक्ता के लिये अच्छा है. कंपनी को घाटा जाय या नुकशान उससे सरकार को क्या लेना और क्या देना…?
मंत्रीजी का दावा है की अमेजोन कंपनी भारत के कायदे के दायरे में काम नहीं कर रही. यदि यह सच है तो सरकार अमेजोन के खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई क्यों नहीं करती…? उसे क्यों बख्सा जा रही है…? यदि अमेजोन की काम करने की नीति से भारत के छोटे व्यापारियो को नुकशान हो रहा है तो उसे भारत में उसका कारोबार बंद करने को कहना चाहिये. लेकिन ये सब करने की बजाय भारत में 10 लाख लोगो को रोजगार देनेवाली कंपनी के मालिक के साथ ऐसा सौतेला व्यवहार और जियो के विज्ञापन में प्रधानमंत्री का फोटो सिर्फ भारत में ही देखने को मिल सकता है. क्योंकि अमेजोन का मामला मिडिया से भी जूडा है ईसलिये उन्हें दबाने की कोशिश तो की गई. लेकिन क्या विदेशी मिडिया भी भाजपा के अधिन हो जायेगा देशी बडे मिडिया की तरह….? आखिर ये कहा जा कर रूकेंगा….? वोशिंग्टन पोस्ट ने सही कहा की अखबार की स्वतंत्रता सरकार की खुशामत करने के लिये नहीं होती जनाब…..!!