रायबरेली:चिकित्सकों और समाज के लिए काम कर रहे सैकड़ों लोगों का हुआ सम्मान
रायबरेली। ‘दीन सबन्ह को लखत हैं, दीनहिं लखै न कोय। जो रहीम दीनहिं लखै, दीनबन्धु सम होय।।’ वास्तव में ऐसे कम लोग हैं जो दीन दुखियों की पीड़ा पर द्रवित होते हैं। जो गरीबों निराश्रितों की मदद के लिए तत्पर होते हैं वे न केवल समाजसेवा का भेष बनाने वालों के लिए एक आदर्श बनते हैं बल्कि पीडि़तों के लिए परमात्मा के अवतार जैसे साबित होते हैं। समाज में अपनी