कुछ लोग खूब बोलते हैं, कुछ बोलने की जरूरत पड़ने पर भी गूँगे बने रहते हैं और कुछ उतना ही बोलते हैं जितना बोलना होता है। बोलने वाले और अबोले लोगों के बीच मध्यम मार्गी लोग होते हैं जो कहाँ क्या बोलना है उसमें माहिर होते हैं। इन सभी का साफ-सुथरा अध्ययन किया जाए तो हमेशा यह निष्कर्ष सामने आएगा कि निम्न और संकीर्ण सोच वाले लोग खूब बोलते हैं,