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विशेष रिपोर्ट: कई कंपनीयों ने कर्मीयों के वेतन में 25 से 50 फिसदी तक कटौती शरू..!?, फट सकता है बेकारी का बंब …

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  • कही ऐसा ना हो की कोरोना देश के लघु और मध्यम उद्योगों को खा जाय…!
    कइ तजज्ञोका अनुमान है कि पूरा मामला शांत लगने में लग सकता है एक साल…
    कंपनिओं ओर लोगो कि नौकरियां बचाने हेतु बडे आर्थिक पैकेज कि आवश्यकता…
    कोरोना के चलते आइटी-कार्पोरेट सेक्टर की भी हो शकती है खस्ता हालत
    अन्यथा चल रही आर्थिक सुस्ती में हालात और भी नाजूक हो सकते है और बडी मात्रा में बेकारी का बंब फट सकता है….

(जीएनएस.विशेष रिपोर्ट),
नई दिल्ही, दि.29
पूरा देश 21 दिन के लोकडाउन में कैद है. भयानक और अमरिका जैसे देश को भी थरथरा देनेवाले कोरोना वाइरस महामारी के चलते भारत को बचाने मोदी सरकार ने लोगो को 21 दिन तक अपने अपने घरो में रहने का आदेश दिया है. आवश्यक सेवाओ के सिवा बाकी सब बंद बंद है.
कारखाने-छोटी छोटा कंपनीयां, आफिसे सब बंद है. लाखो लोग घरो में बैठ कर वर्क फ्रोम होम को फालो कर रहे है. ऐसे में बडे उद्योगो को छोडकर छोटी छोटी आइटी कंपनीयां अन्य छोटे और मझले एकमो में बंद के चलते हालात खस्ता हो रही है. इन सेक्टर में काम करनेवाले लाखों कर्मचारीयों के वेतन में 15 फिसदी से लेकर 50 प्रतिशत की कटौती शरू हो गई है. इस सैक्टर में लाखो की तादाद में कुशल युवा वर्ग काम कर रहे है. जाहिर है की वेतन में 50 प्रतिशत से उनके परिवार और उनके जीवन में भी बुरा असर पड सकता है.
सरकार ने वैसे तो 21 दिन का लोकडाउन बताया है लेकिन जो जानकारी आ रही है वह इशारा कर रही है की ये गंभीर स्थिति 3 महिने तक चल सकती है. लेकिन जिस तरह से श्रमिको का पलायन हो रहा है और लोग अपनी जान बचाने के लिये घबराये हुये है तब उसे देखते हुये और अर्थजगत पर पैनी निगरानी रखनेवालो का ये मानना है कि भारत में कोरोना का मामला शांत होते होते हो सकता है की करीब एक साल लग जाये. जीडीपी की गाडी को नोर्मल पटरी पर आते आते एक साल लग जाये. और ऐसी स्थिति में इस सैक्टर का इस महामारी में लंबे समय तक टीक पाना मुश्किल हो सकता है. हो सकता है की कंपनी को बचाने के लिये या अपने आप को आर्थिक तौर पर सुरक्षित रखने के लिये कंपनीयों के मालिक कर्मीओ की छटनी भी कर दे. खबर तो ये भी है कि कइ कंपनीयों ने कर्मीओं को अप्रैल का वेतन देकर छटनी कर दी हो.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस स्थिति को भांपते हुये उद्योग और कार्पोरेट सैक्टर से कहा था कि कीसी को भी नौकरी से निकालना नहीं है और लोकडाउन समय का पूरा वेतन कर्मीओं को देना है. जब काम ही बंद है, सब कुछ बंद है तब मालिकगण अपने कर्मीओं को कब तक बैठे बैठे वेतन देंगे…? इन कंपनीयों को सरकार मुआवजा देंगी ऐसी कोइ घोषणा सरकार की ओर से अभी तक नहीं हुई.
जीडीपी और अन्य आर्थिक क्षेत्र का आकलन करनेवाली रेटींग एजन्सीयों ने भी भारत का आनेवाला समय कैसा रहेगा उसका अच्छा चित्र नहीं बताया. इस सैक्टर से जूडे सूत्रो का ये पक्का मानना है कि कोरोना को लोकडाउन 14 अपैल से आगे बढ सकता है. और ये मई-जून तक जा सकता है. यानि मई-जून तक लोकडाउन या अन्य विकट स्थिति के बाद भारत की अर्थिकक्षेत्र की गाडी को पटरी पर आते आते एक साल लग सकता है. ऐसे में आइटी और अन्य कार्पोरेट क्षेत्र कब तक मार झेलेगा इसकी गहन चर्चा चल रही है.
सूत्रो की माने तो इस सैक्टर को सरकार से ये आशा है कि वे जैसे बडे बडे कार्पारेट और उद्योग क्षेत्र के लिये आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा सरकार उन्हे बचाने के लिये और टिकाने के लिये करती है वैसे ही लाखो युवाओं को रोजगार देनेवाले इस सैक्टर के लिये भी आर्थिक राहत पैकेज देना ही होगा. जिस में लंबे समय के लिये कम ब्याज की बडी लौन देने का प्रावधान आवश्यक है. सरकार अन्य सैक्टरो के लिये जिस तरह चिंतित है उसी तरह आइटी और छोटे कार्पोरेट सैक्टर को बचाने तथा टिकाने के लिये स्टीम्युलेशन पैकेज तैयार करना होगा. हो सकता है कि इस सैक्टर से जूडी कंपनीयां लंबी असरो को देखते हुये बडे पैमाने पर कर्मीयों की छटनी करेंगी तो बेकारी की मात्रा में भी बठ सकती है. अमरिका में कोरोना की वजह से 30 लाख लोगो ने अपनी नौकरियां गंवाइ होने की जानकारी सरकार में दर्ज कराइ है. भारत में ऐसी कोइ सीस्टम कितनी काम करती है ए भी एक जांच का विषय हो सकता है.
लेकिन केन्द्र सरकार और राज्य सरकारो को को ये मानकर ही चलना होंगा की कोरोना मामला लंबा चल सकता है. हो सकता है की लोग भडक न जाय या दहशत मे न आ जाय इसलिये धीरे धीरे लोकडाउन का समय बढा सकती है. यदि ये पूरा माले 3 महिने भी चले तो उसके बाद यानि लोकडाउन खुलने के बाद कारखाने-कंपनीयां आदि को सामान्य स्थिति में आते आते ओर महिने लग सकते है. रेटिंग एजन्सीओं ने भी जीडीपी कम होने का अनुमान जाहिर किया है. ये सब देखते हुये आइटी और कार्पोरेट सैक्टर के लिये राहत पैकेज जल्द से जल्द जाहिर करना होगा. अन्यथा चल रही आर्थिक सुस्ती में हालात और भी नाजूक हो सकते है और बडी मात्रा में बेकारी का बंब फट सकता है.