– डॉ. दीपक आचार्य कहा जाता है कि ऊर्जा कभी नष्ट नहीं होती, उसका केवल रूपान्तरण होता है और इसी प्रक्रिया का असर सृजन या संहार के रूप में सामने आता है।समय की नब्ज़ को जानने-पहचानने वाले विवेकवान, ज्ञानी और अनुभवी लोग इस ऊर्जा को स्वयं तथा सृष्टि के कल्याण में लगाते हैं जबकि टाईमपास के लिए ही पैदा हो गए या कि उन्मुक्त और दैहिक मनोरंजन के प्रोडक्ट बनकर