(जी.एन.एस.) भोपाल, दि.14
मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर जारी संकट के बीच विधानसभा अध्यक्ष एनसी प्रजापति ने 22 बागी विधायकों को 15 मार्च तक पेश होने के लिए दोबारा नोटिस जारी किया है। बता दें कि इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने बागी विधायकों को अलग-अलग तारीखों में मिलने के लिए बुलाया था। भाजपा शासित राज्य में मौज कर रहे बागी विधायको को स्पीकर से मिलना अनिवार्य है. इसी बीच ऐसी खबर आ रही है कि बेंगलुरू में आराम कर रहे बागी विधायकों में से कहा जा रहा है कि 14 विधायक तो सीएम कमलनाथ के अपने है और भाजपा की चाल देखने के लिये, झांसा देने के लिये कमलनाथ ने उन्हें बागी बनाकर भाजपा की छावनी में भेजे है. और जैसे ही वे भोपाल आयेंगे तब विश्वास मत पर कमलनाथ सरकार के पक्ष में अपना वोट देंगे….! तो क्या इसीलिये कमलनाथ सरकार फ्लोर टेस्ट की मांग कर विश्वास मत जीतने का दावा कर रहे है….?
राजनीतिक सूत्रो ने बताया कि सिंधिया पिछले 6 माह से नाराज चल रहे थे. उन पर निगरानी के लिये कहा जाता है कि कमलनाथ ने अपने वफादार विधायको को सिंधिया गूट के विधायको के साथ घूलमिल जाने के लिये खुल्ले छोड रखे थे. सिंधिया की हरकतो पर निगरानी रखी जा रही थी. और सिंधिया उन्हे अपना मानकर उन्हे भी लेकर बेंगलुरू ले गये.
सूत्रों के अनुसार, कमलनाथ सरकार के कहने से राज्यपाल लालजी टंडन ने जिन 6 मंत्रीओ को बरखास्त किये वे सिंधिया गूट के या उनके पक्के समर्थक थे. कहा जा रहा है कि 23 में से करीब 14 बागी विधायक कमलनाथ के वफादार सिपाही है और भाजपा के खेल बिगाडने के लिये तथा भाजपा को तथा सिंधिया को झांसा देने के लिये उन्हे भी बेंग्लुरू भेज दिये. और इस तरह कहा जा रहा है कि कमलनाथ ने कांग्रेस से ज्योतिरादित्य को एक्सपोज कर अपने रास्ते का पत्थर दूर कर दिया. क्योंकि जब से कमलनाथ सीएम बने तब से सिंधिया उनसे नाराज चल रहे छे. और समय समय पर अपनी ही पार्टी की सरकार की खिंचाई करते रहते थे. कमलनाथ ने सिंधिया की छावनी में अपने वफादार भेज कर उन्हे उकसाया और भाजपा में जाने से सिंधिया के लिये अब कांग्रेस में फिर से आने के सारे दरवाजे कमलनाथ ने कमसे कम हाल में तो बंद कर दिये.
सूत्र के अनुसार, सीएम नाथ फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे है. उन्हे मालुम है कि 14 बागी विधायक तो उनके अपने ही है. ईसलिये सदन में फ्लौर टेस्ट में ये 14 विधायक उनके पक्ष में वोट देंगे तो उनकी सरकार बच जायेंगी. और सरकार गिराने का भाजपा का तथा सिंधिया का प्लान चौपट भी हो सकता है.
सूत्रोने बताया कि, अगर बागी विधायक निर्धारित तिथि कर विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात नहीं करते हैं उस स्थिति में सरकार बहुमत परीक्षण की तारीखों को और आगे बढ़ा सकती है। क्योंकि नियम के तहत विधायकों को अध्यक्ष के सामने उपस्थित होना अनिवार्य है।
वहीं संसदीय कार्यमंत्री गोविंद सिंह ने विधायकों के इस्तीफे की जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे की जांच की जाए कि उन्होंने किन परिस्थितियों में ऐसा किया है। अगर उनके ऊपर कोई दबाव है तब उनके इस्तीफे को निरस्त किया जाए. हो सकता है की जांच में 14 विधायक ये भी कहे कि उन्हें भाजपा जबरन ले गई थी.
बता दें कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा पर विधायकों की खरीद फरोख्त करने का आरोप लगाया था। उन्होंने राज्यपाल को एक पत्र सौंपकर भाजपा की शिकायत भी की थी। उन्होंने राज्यपाल से अपील करते हुए कहा था कि वे गृह मंत्री अमित शाह से बेंगलुरु में बंधक विधायकों को मुक्त कराने के लिए कहें।
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