Share this articleअपने व्यक्तित्व पर किसी को गर्व नहीं है, अपने कर्म का किसी को गौरव नहीं है। कोई यह नहीं कहता कि मैं अच्छा इंसान हूँ, सज्जन और सच्चा बन्दा हूँ और इंसानियत से जुड़े कर्म के लिए पैदा हुआ हूँ। हर कोई स्वयं को भुलाकर अपने पदनाम, धंधों, डण्डों-झण्डों और झण्डुओं, लाल, पीली और नीली बत्तियों, लाल पट्टियों और किसी न किसी पराये नाम, पद या संगठन विशेष