अपने लिए जीना खुदगर्ज व स्वार्थी इंसान की निशानी है और दूसरों के लिए जीना वास्तविक इंसान को दर्शाता है। इंसान को इसीलिए सामाजिक प्राणी की संज्ञा दी गई है कि वह औरों के लिए जिये, समाज और क्षेत्र के लिए जिये तथा इस प्रकार जिन्दादिली के साथ जिये कि खुद भी मस्त होकर जीवन बसर करे और अपने सम्पर्क में आने वाले तथा आस-पास के सभी लोगों को आनंदित