दुनिया में दो ही वर्ग अब दिखाई देने लगे हैं। एक भीड़ है और दूसरी तरह के लोग वे हैं जो भीड़ जमा करने में माहिर हैं। भीड़ ऎसा एक सहज अभिनय है जो अपने आप जुट जाता है और सब कुछ अपने आप होने लगता है। भीड़ कहीं तो अपने आप जुट जाती है और कहीं जुटाने के लिए जतन करने पड़ते हैं। दुनिया का हर शख्स उन लोगों