उत्तराखंड पृथक होने के पश्चात प्रदेश में केंद्रबिंदु है पर्यटन का सोनभद्र-घोरावल अतीत की गौरवगाथा सुनाती पुरातात्विक धरित्री
सोनभद्र । प्रकृति की सुरम्य आभा, प्राचीन स्मृतियों की थाती और प्रागैतिहासिक चित्रलिपियों से आच्छादित है जनपद सोनभद्र की घोरावल तहसील जो इससे इतर अनेकशः ऐतिहासिक सांस्कृतिक धरोहरों को भूगर्भ में भी समेटे हैं मूर्तिकला और नगरीय सभ्यता के सँग-सँग अहम भूमिका में। नैसर्गिक आभा से महिमामंडित विभाजन के पूर्व उत्तराखंड के साथ अलौकिक दृश्यावली से समृद्ध रहा। पृथकीकृत होने के पश्चात उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल की जमीन ख़ास तौर सोनभद्र