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सब जगह हैं छुटभैये और उठाईगिरे

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इंसान के रूप में चाहे-अनचाहे पैदा हो जाना ही काफी नहीं है। अपने आपको इंसान समझना और इंसान की तरह व्यवहार करना भी जरूरी है। इंसान होने का अर्थ ही यह है कि हम सामाजिक प्राणी हैं और समाज तथा राष्ट्र के लिए जीने-मरने तथा समुदाय के कल्याण के लिए ही पैदा हुए हैं और ऎसा कर पाएं, तभी हमें अपने आपको इंसान मानने का हक है। समुदाय, क्षेत्र या
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