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NSA डोभाल का गलियों मे निकलना बताता है कि मोदीजी को “मेरे अपने” पर विश्वास नहीं….?

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(जी.एन.एस) ता. 27
प्रवीण घमंडे
चिंगारी कोइ भडके तो सावन उसे बुझाये…सावन जो अगन लगाये उसे कौन बुझाये….क्या ये शब्द देश की राजधानी दिल्ही के लिये ठीक है…? होता है क्या कि देश सुलगता है तो दिल्ही उसे बुझाती आई है. लेकिन प्रधानमंत्री मोदीजी के पक्के दोस्त अमरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की मुलाकात के दौरान ही तीन दिन तक दिल्ही जलती रही,.. गोलियां चलती रही,… निर्दोष लोग मरते रहै…. लेकिन उसे कौन बुझाये….!
ट्रम्प की मौजूदगी में दिल्ही का जलना मोदीजी के माथे कलंक लगाने की साचिश…?
दिल्ली में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 34 लोगों की जान जा चुकी है. जिस में पुलिस वाले भी है. एक कान्स्टेबल और आइबी का एक पुलिसवाला मारा गया. ऐसा नहीं की इससे पहले दिल्ही दहली नहीं…! 1984 के सीख विरोधी दंगे आज भी इस बात के गवाह है. अब सिख विरोधी दंगे का स्थान सीएए विरोधी दंगे ले सकते है. दिल्ली की अदालत को 1984 के दंगो को याद करना पडा और कहना पडा की जब तक अदालत है वे दिल्ही को फिर से 1984 बनने नहीं देंगे. भाजपा नेताओ के भडकाउ भाषण कोर्ट में चलवाने वाले दिल्ही हाइकोर्ट जज को पंजाब का पानी पीने के लिये भेज दिया गया.. ऐसा तो कांग्रेस राज में होता था. लेकिन अब….?
डोभाल का गलियों मे निकलना बताता है कि “कीसी” को “कीसी” पर भरोसा नहीं के….?!!
कीसी विदेशी मेहमान और वो भी अमरिका जैसे ताक्तवर देश का राष्ट्रपति दिल्ही आ रहा हौ तो कौन चाहेगा की उनकी दिल्ही की मौजूदगी में दंगे हो और वो भी सांप्रदायिक दंगे हो….? नहीं ना…प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी नहीं चाहते होंगे की उनके दोस्त की मौजूदगी में दिल्ही दहले…. न सिर्फ दिल्ही लेकिन देश के कीसी भी हिस्से में कीसी प्रकार के कोइ भी दंगे न हो ये हर कोई प्रधानमंत्री चाहता है और मोदीजी ने भी यही चाहा. तो फिर दिल्ही में मोदीजी के दोस्त ट्रम्प की मौजूदगी में तीन दिन तक दिल्ही किसने जलाई….? अवैध पिस्टल से धडाधड गोलियां कीस ने चलाई….? पुलिस के सामने पिस्टल लेकर खडे होने की हिंमत कैसे हुई कीसी की…? कई घर जल कर खाख क्यों हुये दिल्ही में….? इन सवालो का जवाब गृह मंत्रालय के पास है, दिल्ही पुलिस के पास है. दिल्ही पुलिस सीधे गृहमंत्री अमित शाह के नियंत्रण में है. दिल्ही पुलिस पर इससे पहले जामिया, जेएनयु, वकीलो पर हमले ऐसे कई आरोप लग चुके है. प्रतिपक्ष द्वारा भी और अदालत द्वारा भी.
कांग्रेस के माथे सिख दंगे का कलंक तो मोदीजी के मत्थे लग गया सीएए दंगे का कलंक…?
क्या दिल्ही के दंगे गृहमंत्री अमित शाह की नाकामी बता रहे है….? क्या ये मोदीजी को विदेशी मेहमान के सामे नीचा दिखाने का कोइ षडयंत्र था या है…? क्यों अमित शाह फैल हो गये…? क्या ये भाजपा के कीसी भीतराघात का कोइ प्लान था या है….? क्या ये कांग्रेस का काम था या है…? क्या ये आप पार्टी का काम था या है…? सवाल कई है लेकिन जवाब सभी के पास हो सकते है. मगर कोई बोलेंगा नहीं. कोई बोले या न बोले लेकिन देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार-एनएसए- अजीत डोभाल का दिल्ही के दंगाग्रस्त इलाके में जायजा लेने निकलना क्या इस बात का कोइ इशारा है की मोदीजी को “मेरे अपने” पर विश्वास नहीं….?
मोदीजी के दोस्त की हाजरी में ही दिल्ही को जला कर मोदीजी को किसने नीचा दिखाया…? कौन है वो..?
अजीत डोभाल कोई छोटेमोटे अफसर नहीं. वे अमरिका जैसे देश के साथ मोदीजी की मुलाकात का पूरा प्लान बनाते है. वे इन्टरनेशनल स्तर के खुफिया सब से बडे अफसर, मंजे हुये खिलाडी है. अनुच्छेद 370 दूर करने के बाद वे कश्मिर की घाटी में पहुंचे थे और जैसे दिल्ही में लोगो से बात की वैसे ही वहां भी कश्मिरीयों के साथ सडक पर चाय पीते पीते बातचीत कर विश्वास बढाया था. ऐसे आला अफसर को दंगाग्र्सत क्षेत्र में लोगो को समझाने के लिये जाना पडा तो इसका एक मतलब तो यही निकाला जा रहा है की क्या मोदीजी को गृहमंत्रालय पर विश्वास नहीं…? क्या मोदीजी जमीनी स्तर से पूरी सच्चाई जानना चाहते थे गृहमंत्रालय को एक ओर बिठाकर….?
देश सुलगता है तो दिल्ही उसे बुझाती आई है, दिल्ही खुद जली उसे कौन बुझाये….?
अजीत डोभाल को दंगाग्रस्त इलाके में घूमते देख कीसी ने ये भी कहा के वोट मांगने नेता आते है और जब मतदाता मुशीबत में हो तो अफसर को भेजते है…! कीसी ने ये भी कहा की अजीतजी चुनाव में खडे हो तो बडे आराम से जीत जाय…! एक इन्टरनैशनल स्तर के आला अफसर को प्रधानमंत्रीजी ने भेजा होगा या गृहमंत्रालय ने…? चुनाव सभा में गरज गरज कर भाषण देने वाले…गोली मारो…बोलने वाले….बिल में छुप गये और जेम्स बौन्ड समान डोभाल को मैदान में उतरना पडा या उतारना पडा ये भाजपा के लिये शर्मसार करनेवाली बात है. एक अफसर की बात लोगो ने मानी तो क्या वोट मांगनेवाले नेता की बात लोग नहीं मान सकते थे…? लेकिन इन नेताओ के मन में खोट है. ईसलिये अजीतजी से कहा होगा- सर आप हो आईये…..!
डोभाल ने कहा – उतना ही बोलिए जितना मेरे कान की ज़रूरत हो….!
प्रधानमंत्री मोदी सब से ताक्तवर देश अमरिका से दोस्ती बढा कर दुश्मन देश को सबक सिखाना चाह रहे है. डोनाल्ड ट्रम्प ने मोदीजी कीजमकर तारिफ की थी अहमदाबाद और दिल्ही में. लेकिन लगता है की उनकी ईस दोस्ती को देख कर इर्षा करने वालो नें दिल्ही को जलाकर मोदीजी पर कंलक लगा दिया. क्योंकि अब ये इतिहास में दर्ज हो गया की अमरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प का हाजरी में ही दिल्ही जला था सिख दंगे की तरह….!
अजीत डोभाल ने लोगो से कहा कि वे इन्सानियत के नाते उनसे मिलने आये है सियासी तौर पर नहीं. लेकिन जब दंगागर्स्तो ने अमित शाह के खिलाफ शिकायत की तो डोभाल ने कहा की वे ऐसा न बोले.तीन दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं हो पाए . बुधवार को एक तरफ़ हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई तो दूसरी तरफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल उत्तर-पूर्वी दिल्ली के प्रभावित इलाक़ों में गए और लोगों से मुलाक़ात की. मंगलवार शाम भी अजित डोभाल सीलमपुर, जाफराबाद, मौजपुर और गोकुलपुरी चौक गए थे.
अजित डोभाल से एक मुसलमान बुज़ुर्ग ने कहा कि यमुना पार के मुसलमानों पर ज़ुल्म किया गया है. इसी दौरान उन्होंने आरएसएस और अमित शाह का नाम लिया तो डोभाल ने कहा कि उतना ही बोलिए जितना मेरे कान की ज़रूरत हो….! उस व्यक्ति ने कहा कि जहां मुसलमान कम हैं वहां उनके साथ अत्याचार हो रहा है लेकिन हमने किसी हिन्दू पर ज़ुल्म नहीं होने दिया. उन्होंने कहा, ”आरएसएस और अमित शाह के कहने पर सब कुछ हुआ है.” इस पर अजित डोभाल ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वो बोलते रहे. बाद में अजित डोभाल वहां से चले गए…..!
अजित डोभाल ने कुछ लोगों से ये भी कहा कि प्रेम की भावना बनाए रखिए. हमारा एक देश है और हम सबको मिलकर रहना है. देश को मिलकर आगे बढ़ाना है.” उत्तर-पूर्वी दिल्ली के एक और इलाक़े में स्थानीय लोगों से डोभाल ने कहा कि हालात पर ड्रोन से नज़र रखी जा रही है.
हो सकता है की डोभाल अपने सियासी बौस को नाराज करना नहीं चाह रहे होंगे. और उनकी मुलाकात के वकत मिडिया भी मौजूद थी. सब कुझ कैमरे में कैद हो रहा था. जिस में शाह का नाम भी आया तो उनके कान को अच्छा नहीं लगा. यदि वे इन्सानियत के नाते ही आये हुये होते तो ऐसा न कहते. लेकिन कीसी को लगता है कि वे सियासी ऐजन्डे के तहत, मुलाकात ले रहे थे…? डोभाल की मुलाकात पर ड्रोन द्वारा नजर रखी जा रही थी तो तीन दिन से दंगे हुये, दिल्ही जल रही थी तब पुलिस ने ड्रोन का उपयोग क्यों नहीं किया दंगाइयों को पकडने के लिये….? जब दोनो तरफ पत्थर बरस रहे थे तब ड्रोन कहां था…..कीस की सुरक्षा कर रहा था आसमान से,,, ? मिश्रा की…..?!!