कोर्ट का फैसला : कोर्ट ने भगवत सिंह मेवाड़ की वसीयत को नहीं मानकर संपत्ति को संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति माना
उदयपुर,(G.N.S)। मेवाड़ के पूर्व राजघराने में चल रहे संपत्ति विवाद को लेकर मंगलवार को उदयपुर की एडीजे-2 ने बड़ा और रोचक फैसला सुनाया है। इसमें कोर्ट ने फैसला दिया है कि मेवाड़ के पूर्व राज परिवार में संपत्ति का 4 हिस्सों में बराबर-बराबर बंटवारा होगा। इसमें एक हिस्सा याचिकाकर्ता महेन्द्र सिंह मेवाड़, दूसरा हिस्सा इनकी बहन योगेश्वरी कुमारी, तीसरा हिस्सा छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ और चौथा हिस्सा पिता भगवत सिंह मेवाड़ में बांटा जाएगा। हालां कि भगवत सिंह मेवाड़ का बरसों पहले निधन हो चुका है।
फैसले में एक रोचक आदेश यह भी हुआ है कि शंभु निवास पैलेस में अब अरविंद सिंह मेवाड़ अगले 8 साल तक नहीं रह सकेंगे। पहले चार साल महेन्द्र सिंह मेवाड़ रहेंगे, उसके अगले चार साल इनकी बहन योगेश्वरी कुमारी रहेंगी, इसके बाद अरविंद सिंह मेवाड़ शंभु निवास में रह सकेंगे। साथ ही किसी भी संपत्ति जो अभी बेची नहीं गयी है, उसका व्यावसायिक उपयोग नहीं हो सकेगा।
जानिए संपत्ति विवाद और फैसले के मुख्य अंश
वरिष्ठ वकील नरेन्द्र सिंह कच्छावा ने बताया कि उनके वादी महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने कोर्ट में 1983 में संपत्ति के बंटवारे का एक वाद दायर किया था। इसमें महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने महाराणा भोपाल सिंह से महाराणा भगवत सिंह मेवाड़ को मिली संपत्ति को संयुक्त हिंदु परिवार (हिंदु अनडिवाइडेड फैमिली) “एचयूएफ” की संपत्ति मानते हुए दावा किया था, कि संपत्ति का बंटवारा संयुक्त हिंदु परिवार की संपत्ति के अनुसार हो।
इसमें महाराणा भगवत सिंह का तर्क था कि उन्हें यह संपत्ति राजा होने की हैसियत से मिली है, इसलिए यह उनकी व्यक्तिगत संपत्ति है।
आज 30 जून को कोर्ट ने ऑर्डर पास किया है कि यह संपत्ति संयुक्त हिंदु परिवार की संपत्ति है और इसका कोर्ट ने बराबर-बराबर हिस्सा करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने भगवत सिंह मेवाड़ द्वारा की गयी वसीयत को नहीं माना और संयुक्त हिंदु परिवार के तहत संपत्ति का बराबर-बराबर बंटवारा करने के आदेश दिए हैं।
अब तक यह स्थिति थी: बतौर एग्जीक्यूटर अरविंद सिंह मेवाड़ संपत्ति पर थे काबिज
वरिष्ठ वकील नरेन्द्र सिंह कच्छावा ने बताया कि भगवत सिंह ने अपने जीवन में एक वसीयत की थी, इसमें उनके पास जो संपत्ति थी, उसका ट्रस्ट बनाने की कहकर वसीयत की थी। उस वसीयत के एग्जीक्यूटर अरविंद सिंह मेवाड़ को बनाया था। ऐसे में अब तक उन सभी संपत्तियों पर अरविंद सिंह मेवाड़ एग्जीक्यूटर की हैसियत से काबिज थे।
अब फैसले के बाद यह होगी स्थिति
- पूरी संपत्ति को चार हिस्सों में बांटा जाएगा।
- शंभु निवास पैलेस जहां अभी तक अरविंद सिंह मेवाड़ रह रहे थे, उनकी जगह अब पैलेस में चार साल तक महेन्द्र सिंह मेवाड़ रहेंगे, फिर इसके अगले चार साल बहन योगेश्वरी कुमारी रहेंगी और इसके बाद अरविंद सिंह मेवाड़ को यह पैलेस रहने के लिए मिलेगा।
- सभी संपत्ति जहां कॉमर्शियल एक्टिविटीज चल रही थीं, वह तत्काल प्रभाव से रोक दी गयी हैं। आदेश दिया गया है कि अभी संपत्तियों पर कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं होगी। जैसे की परिवार की संपत्ति बड़ी पाल पर व्यावसायिक गतिविधि के तहत शादी समारोह होते थे, वह अब नहीं हो सकेंगे।
- जो संपत्तियां भगवत सिंह मेवाड़ ने उनके जीवन काल में बेच दी हैं, उनका शेयर वादी महेन्द्र सिंह मेवाड़ को दिलाया जाएगा। जैसे कि लेक पैलेस, जग मंदिर आदि एक कंपनी के नाम ट्रांसफर हो चुकी हैं, तो इनके संचालन में कोई व्यवधान नहीं होगा, बस इसमें जो महेन्द्र सिंह मेवाड़ का शेयर होगा, वह उन्हें दिलाया जाएगा।
- सभी संपत्तियों के अब तक हुए व्यावसायिक उपयोग का पूरा हिसाब अरविंद सिंह मेवाड़ को देना होगा। संपत्ति के चार हिस्सों में होने वाले बंटवारे में इस हिसाब को भी ध्यान में रखा जाएगा।