संसार की नब्बे फीसदी आबादी कभी अपने बारे में नहीं सोचती, न कभी अपनों के बारे में विचार करती है। लेकिन दुनिया भर में क्या हो रहा है, यह जानने की जिज्ञासा और उतावलापन इन सभी को दिन-रात सताता रहता है। ये ही वे लोग हैं जो चाहते हैं कि संसार में कहीं भी कुछ हो, तो वही हो जो वे सोचते हैं। और इससे भी बड़ी जिज्ञासा यह कि