बाहरी को पीने की छूट तो गुजराती को क्यों नहीं, शराबबंदी का मामला फिर पहुंचा हाईकोर्ट
(जी.एन.एस) ता. 23 अहमदाबाद गुजरात में शराबबंदी को लेकर एक बार फिर मामला उच्च न्यायालय पहुंचा। शराबबंदी को जहां निजता व समान हक विरोधी बताया गया है वहीं सरकार का कहना है कि 1951 में उच्चतम न्यायालय ने शराबबंदी को मान्यता दी तथा गांधीजी के नशामुक्ति के ध्येय को पूरा करने के लिए गुजरात में शराबबंदी जरूरी है। गुजरात उच्च न्यायालय में शराबबंदी के विरोध में 5 याचिकाएं दाखिल की