मिल्खा सिंह बोले, याद आ गई जवानी , बस अब एक गोल्ड मिल जाए
(जी.एन.एस) ता 27 चंडीगढ़ मैैं हिंदी में बात करूं तो कोई एतराज तो नहीं, दरअसल मेरे साथ बैठे दोनों सज्जन ने बताया कि उन्हें हिंदी नहीं आती, लेकिन मैैं गर्व से बोलता हूं कि मुझे हिंदी आती है। मैैंने कुल 80 अंतरराष्ट्रीय रेस में हिस्सा लिया। हर दौड़ के बाद हिंदी में ही इंटरव्यू दिया। मुझे लगता है कि हमें अपनी राष्ट्रीय भाषा में ही बात करनी चाहिए। दूसरी बात,