कर्म कोई सा हो, जो इसे रुचिपूर्वक और पूरी निष्ठा से करता है उसे फल निश्चित रूप से प्राप्त होता ही है। जरूरी नहीं कि यह कर्मफल हमारी इच्छा के अनुरूप प्राप्त हो या हमारे सोचे समय पर ही प्राप्त हो। कर्म करना इंसान का काम है जबकि फल देना ईश्वर का। इस मामले में गीता का ज्ञान पूरी दुनिया में इतना अधिक परिपूर्ण और प्रभावी है कि जिसे जो