जनता परेशान है, इसलिए चुप है। जिस दिन उसे यह महसूस हो गया कि अब तो संघर्ष ही एक मात्र रास्ता बचा है, बस उसी दिन जनता के साथ छल कपट कर अपनी सुख सुविधाओं और धन,बल और प्रसिद्धि पाने वाले नेताओं की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। आजादी के बाद से ही भारत जातियाॅ संघर्ष को झेलता चला आ रहा है। पहले अनुसूचित जाति जनजाति, फिर जाट, मराठा, पंजाबी,