मनुष्य का शरीर धारण कर लेने मात्र से ही जीवन सफल नहीं हो जाता बल्कि मनुष्यता की पूर्णता और जीवन लक्ष्य पाने के लिए जिन सिद्धान्तों, आचार-विचारों, संस्कारों और व्यवहारों की जरूरत होती है उनका पूरी तरह परिपालन करने से ही मनुष्य योनि की प्राप्ति धन्य और सफल हो सकती है। आज पूरी दुनिया में बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या में काफी प्रतिशत ऎसे लोग हैं जिन्हें मनुष्य का शरीर तो प्राप्त