पुलिस के साथ आम लोग भी समझें अपनी जिम्मेदारी
(जी.एन.एस.) ता 17 कानपुर। मुद्दा यहां तालमेल और मानवीयता का था तो ‘कठघरा’ भला किसी एक के लिए कैसे हो सकता है। संवेदनहीनता के कुछ उदाहरणों के साथ कई मर्तबा पुलिस महकमा घेरे में था, तो कभी समाज का गैर जिम्मेदाराना रवैया भी। वक्ताओं ने जरूरत पुलिस के सहयोगी रुख की बताई तो उनकी निजी दिक्कतों पर भी उतनी ही गंभीरता से चर्चा की। भारतीय विचारक समिति ने मर्चेट्स चैंबर