लोगों की निगाह सामने होती है और सामने की तरफ देखकर ही जुबाँ अपने आप हलचल करने लग जाती है। अधिकांश लोगों की आदत होती है कुछ न कुछ बोलते रहना। ये लोग समाज के हर क्षेत्र में सहज ही विस्फोटक संख्या में देखने को मिल ही जाते हैं। सुनने वालों के मुकाबले बोलने वाले कई गुना विद्यमान हैं और ये बोलते ही रहते हैं। यही कारण है कि ध्वनि