भारत-चीनः रसीली नौटंकी काफी नहीं
डॉ. वेदप्रताप वैदिक — कल मैंने लिखा था कि चीन और भारत की क्या-क्या मजबूरियां हैं कि जिनके चलते उन्हें आपसी संबंधों को आगे बढ़ाना पड़ रहा है। आज महाबलिपुरम में जो कुछ हो रहा है, वह जो ह्यूस्टन में हुआ है, उससे किसी तरह कम नहीं है। भारत और चीन के सदियों पुराने संबंधों को नरेंद्र मोदी ने आज जिस तरह रेखांकित किया है, वैसा तो हिंदी-चीनी भाई-भाई के