महात्मा गांधी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था
लेखक – पी.सी. शर्मा स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के बाद से ही महात्मा गांधी गाँवों की दशा को लेकर बेहद चिंतित रहते थे और गाँवों के प्रति नया दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर ज़ोर देते थे। दरअसल अंग्रेजों की आर्थिक नीतियों से गाँवों में रहने वाले लोगों में बेगारी बढ़ रही थी,छोटे उद्योग-धंधे चौपट हो गए थे। शहरों के लोगों में विदेशी चीजों को खरीदने और उनका उपयोग करने