यह ध्रुवीकरण नहीं, धुंआकरण है
डॉ. वेदप्रताप वैदिक —एक पुरानी कहावत है कि प्रेम और युद्ध में किसी नियम-कायदे का पालन नहीं होता। मैं सोचता हूं कि यह कहावत सबसे ज्यादा लागू होती है हमारे चुनावों पर ! चुनाव जीतने के लिए कौन-सी मर्यादा भंग नहीं होती ? कोई भी प्रमुख उम्मीदवार यह दावा नहीं कर सकता कि उसने चुनाव-अभियान के लिए अंधाधुंध पैसा नहीं बहाया है। चुनाव आयोग द्वारा बांधी गई खर्च की सीमा