दुनिया में ऎसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जिसका कोई मित्र या शत्रु न हों। व्यक्ति के जन्म के साथ ही राग-द्वेष के बीज अंकुरित होना शुरू हो जाते हैं जो कालान्तर में उम्र के बढ़ने के साथ ही अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं और उम्र ढलने तक पीछा नहीं छोड़ते। हम चाहे कितने अच्छे, सच्चे, सेवाभावी, उदार और परोपकारी क्यों न हों, हमारा कार्य, स्वभाव और व्यवहार कितना