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युपी में सपा-बसपा और प्रियंका बहना की एन्ट्री बिगाड सकता है भाजपा का खेला….?

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(जी.एन.एस.) लखनऊ, दि.19

बीते पांच साल में यूपी में अब भाजपा के लिये 2014 जैसा सियासी माहौल नहीं है. भाजपा को रोकने के लिये मायावती ने सपा द्वारा 1995 में उनको को मारने की कोशिश वाले बदनाम गेस्ट हाउस कांड और अब तक एक दूसरे के खिलाफ सदैव लडते रहने के बदले दुश्मन का दुश्मन दोस्त की थ्यौरी अपना कर सपा से हाथ मिलाया. चुनाव से पहले  सपा और बसपा के बीच ऐसा महागठबंधन हुआ की जिसकी भाजपा को इसकी कल्पना भी नहीं थी. अखिलेश यादव और मायावती ने आपसी गिले- शिकवे भुलाकर अजीत सिंह को मिलाकर अपना अलग चौका रचा. प्रधानमंत्री मोदी ने बार बार इस महागठबंधन को महामिलावटी कह कर पूरे चुनाव में उसका भारी मजाक उडाया. सपा के नेता अखिलेश को एक महिला आइएएस पर छापें द्वारा डराने की कोशिश की गई. बसपा की मायावती के खिलाफ कई केस दर्ज हुये जिसमें शुगर मिले बेचने का आरोप लगा है। राजस्थान में दलित महिला पर अलवर रेप कांड को लेकर मोदी ने कांग्रेस और मायावती में दरार करने की भरपूर कोशिश की. लेकिन मायावती ने मोदी की जाति बताकर उन्है बेनकाब करने की कोशिश की.

भारत के सब से बडे राज्य यूपी में 80 सीटों का गणित लगाकर भाजपा के 2014 के लोकसभा युनाव में प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी ने न मैं आया हूं, न भेजा गया हूं मुझे तो मा गंगा ने बुलाया है… कह कर भोले की नगरी वाराणसी से भी नामांकन भरा था. यूपी का हवाला अमित शाह को दिया गया था. यूपी में सरकार अखिलेश यादव-सपा की थी. यूपी ही देश को प्रधानमंत्री देते आया है की परंपरा का कायम रखते हुये यूपी ने 80 में से 71 सीटें मोदी के खाते में डाली और मोदी प्रधानमंत्री बने थे.

सपा नेता अखिलेश के पिता और नेताजी मुलायम सिंह ने संसद के लास्ट सत्र में मोदी को फिर से पीएम बनने की शुभकामनायें दी थी. लेकिन उनकी पार्टी सपानने युपी में बसपा के साथ मिलकर जो राजनीतिक समीकरण बनायें उससे भाजपा 2014 की तरह इस बार मजबूत स्थिति में नहीं. यूपी में भाजपा को कितना राजनीतिक नुकसान पहुंचाया ये तो 23 को नतीजे बतायेंगे लेकिन चित्र बता रहा है की इस बार भाजपा को युपी में  80 में से 71 नहीं किन्तु सिर्फ 36 सीटें ही मिल रही है….!! इसकी एक वजह प्रियंका गांधी की एन्ट्री भी है.

यूपी में तीन सीटों का परिणाम रोचक हो सकता है. अमेठी-रायबरेली और वाराणसी. मोदी की जीत पक्की है लेकिन पिछली मार्जिन से ज्यादा या कम ये भी चर्चा में है. 2014 में मोदी  वाराणसी से 3 लाख से ज्यादा वोटो से जीते थे.

महागठबंधन में सपा को 16 सीटे मिल रही है जो 2014 में सिर्फ 5 सीटे मिली थी.  2014 में कांग्रेस को 2 सीटे मिली थी रायबरेली और अमेठी. इस बार अमेठी का पता नहीं लेकिन कुछ सीटे बढ सकती है. कांग्रेस को इसबार 13 सीटें और बसपा को 14 सीटे मिलने के आसार है.

2014 में बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी. भाजपा की सहयोगी अपना दल को  इस बार 2 नहीं 1 ही सीट मिल सकती है. अन्यों को 2 सींटे मिलने के आसार हैं। फिलहाल ये तो एक्जिट पोल है। असली गणित का परिणाम तो 23 मई को ही पता चलेगा जब ईवीएम वोट उगलना शुरू करेंगी।

विशेष नोट : लोकसभा के आम चुनाव का गुजराती न्यूज सर्विस (जी.एन.एस) द्रारा देश के ४२८ जिल्लो में कार्यरत लगु एवं मध्यम अखबारों के १३०० से ज्यादा पत्रकारों द्रारा किया गया फिल्ड सर्वे और इसके साथ ही ८०० से भी ज्यादा अखबारों के वरिष्ठ सम्पादको द्रारा अपने चुनाव विश्लेषण के साथ देश के राजनीतिक पंडितो के अपने अनुभव आकलन के आधार पर सभी राजनितिक पहलुओं को देखते हुए यह चुनाव एक्झीट पोल तैयार किया गई है।