ऎ मानुष ! तुम और कुछ नहीं कर सकते, इसलिए वही करो जो तुम कर रहे हो, अब तक करते रहो हो। क्योंकि इसके बिना तुम्हारी कोई जिन्दगी नहीं, और तुम आसानी से मर भी नहीं सकते क्योंकि मौत भी कोई आसानी से आने वाली नहीं। और आ भी गई तो वह सहज-स्वाभाविक नहीं होगी क्योंकि तुम्हारे करम ही ऎसे हैं कि आसान मौत नहीं हो सकती। फिर मर भी