(जी.एन.एस) ता.23 मुजफ्फरपुर ‘तुम्हें कई बार मौका दिया। लाख समझाया, लेकिन तुमने शराब नहीं छोड़ी। सोचा था कि जीवन भर तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेंगे। तुम्हें समझा लेंगे, लेकिन तुम्हें समझाने में मैं हार गई। तुमने शराब नहीं छोड़ी तो अब मैं तुम्हें छोड़ रही हूं। तुमने अपना वादा ही नहीं मेरा विश्वास भी तोड़ा है। अब एक पल भी तुम्हारे साथ निभा नहीं सकती। तुम चाहे लाख कुछ कर लो,